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अज्ञात संकेत सवाल और जीवन की चुनौतियाँ

अज्ञात संकेत सवाल और जीवन की चुनौतियाँ

परिणीता एक आवश्यकता से ज्यादा सपनों में जीने वाली लड़की थी, जिनकी दुनिया उसके विचारों में बसी होती थी। वह हमेशा नयी चीजों की तलाश में रहती थी और उसका दिल विचारों की उड़ानों में ही खोया रहता था।

एक दिन, एक सांझ को जब सूरज धीरे-धीरे गुम हो रहा था, परिणीता अपने सवालों की दुनिया में खो गई। वह अपनी फेवरिट पुस्तक के साथ अपने मन के किनारे पर बैठी थी, जब उसने कुछ अद्भुत देखा। उसकी किताब में एक छोटी सी चिट्ठी थी।
अपनी उत्सुकता को न रोक पाकर परिणीता ने तुरंत चिट्ठी को खोल लिया और पढ़ने लगी। चिट्ठी में लिखा था:
“परिणीता, तुम्हारी आवश्यकता को मैं समझ सकता हूँ। मेरी तरह ही तुम भी नए और अज्ञात सफर की तलाश में हो। आज रात को सूरज अधूरे होते समय वहीं पर मिलेंगे जहाँ तुमने यह चिट्ठी पाई।”
वह सोचने लगी कि क्या करना है, क्या वाकई वह इस चुनौती को स्वीकार करेगी।

अगली दिन सुबह, परिणीता ने अपनी चिट्ठी के बारे में अपने दोस्त सोनाली से बात की। सोनाली भी उत्सुक थी और उन्होंने मिलकर तय किया कि वे मिलेंगी चिट्ठी में दिए गए स्थान पर।
रात के समय, परिणीता और सोनाली वहीं पहुँच गई जहाँ चिट्ठी में दिशा दिए गए थे।

परिणीता और सोनाली के सामने वो आदमी खड़ा होता है, जिसका चेहरा छुपा हुआ होता है। “वेलकम, परिणीता और सोनाली,” उसने धीरे से कहा। “मुझे आपकी सहायता चाहिए।”

परिणीता और सोनाली के दिल में एक अजीब सी घबराहट थी। उन्हें लगता था कि कुछ अधूरा है, कुछ रहस्यमय है, जिसका खुलासा अभी बाकी है।

आदमी ने उन्हें अपनी यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताया, लेकिन परिणीता ने पूछा”तुम्हारा इस सफर से क्या संबंध है?”।

आदमी ने एक मुस्कान दिखाई और उत्तर दिया, “मैं एक खोजी हूँ। मेरा उद्देश्य है कि मैं लोगों के बीच एक नया रूप से संवाद स्थापित कर सकूँ, वो भी बिना किसी शब्द के।”
सोनाली ने सवाल किया “क्या तुमने उस चिट्ठी को भेजा था?”।

आदमी ने सिर झुकाया और कहा, “हां, मैं ही वो हूँ। मैंने तुम्हें देखा कि तुम दुनिया की बाहर निकलने के लिए उत्सुक हो, और मैंने तुम्हें एक छोटे से संकेत के रूप में चिट्ठी भेजी।”

परिणीता और सोनाली एक-दूसरे की तरफ़ देखती हैं,
जब अचानक एक खबर आती है कि परिणीता की माँ की मौत हो गई है। परिणीता की आँखों से आंसू बहने लगते हैं। वह अपनी माँ की यादों में खो जाती है, और चिट्ठी के रहस्यमय विचारों को भूल जाती है।

चिंतित और दुखी होकर, परिणीता वहाँ से भागती है, अपने दोस्त सोनाली के पास जाती है और उसे यह सब बताती है। सोनाली भी दुखी होती है और परिणीता को समझाने की कोशिश करती है कि वह उस चिट्ठी के पीछे की बातों का पता लगाए।

परिणीता के मन में उलझन बढ़ती जाती है, क्योंकि वह समझने की कोशिश कर रही है कि उसकी माँ की मौत और चिट्ठी के बीच कैसे कोई संबंध हो सकता है।

[Part two on demand]

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